हे सती साध्वी भवप्रीता तुम आर्य भवानी रत्नप्रिया। हे सती साध्वी भवप्रीता तुम आर्य भवानी रत्नप्रिया।
प्रकृति फल, फूल, जल, हवा, सब कुछ न्योछावर करती, ऐसे जैसे माँ हो हमारी। प्रकृति फल, फूल, जल, हवा, सब कुछ न्योछावर करती, ऐसे जैसे माँ हो हमारी।
रंग जिसका थकी आँखों को कर दे रोशन, रूप जिसका रूठी हँसी को कर दे प्रसन्न। रंग जिसका थकी आँखों को कर दे रोशन, रूप जिसका रूठी हँसी को कर दे प्रसन्न।
तुम जो आए मन -उपवन में फूल मुस्काए। तुम जो आए मन -उपवन में फूल मुस्काए।
मन उपवन उल्लास छाया है मन उपवन उल्लास छाया है
खिलखिलाते गुलशन है रिश्तों के इस डोर में छुपे खिलखिलाते गुलशन है रिश्तों के इस डोर में छुपे